जन्म लेते ही मानव शिशु को मृत्यु की अनुचरी शक्तियां भीतर और बाहर से घेर लेती हैं। उस समय वह अपने
आप को भूल जाता है। उसमें न ज्ञान का प्रकाश होता है और न कर्म की शक्ति होती है। न शक्ति की दृष्टि
होती है और न इच्छाशक्ति का प्रभाव होता है। उस समय वह मृत्युमय संसार की अगणित शक्तियों के हाथ की
एक कठपुतली मात्र होता है। ऐसा लगता है, मानो मृत्यु किसी भी समय उसको ग्रास बना सकती है। उसके देह,
इन्द्रिय, मन सभी मृत्यु के अधीन होते हैं। उसका उनके ऊपर कोई प्रभाव नहीं रहता। उस असहाय अवस्था
में उसके माता-पिता एवं परिवार, मित्रगण आदि जिसका दूध पिलाकर उसे पालते हैं वह होती हैं- गौ माँ।
और जब व्यक्ति की मृत्यु होने वाली होती है तब भी गौदान के द्वारा उसके सारे पाप-बन्धन कट जायेंगे।
इस मान्यता और विश्वास के साथ हम जिसकी शरण लेते हैं वह भी होती हैं- गौ माँ। जन्म से लेकर मृत्यु
पर्यन्त जिस पशु से हमारा नाता और संबंध है उन्हें कहते हैं हम - गौ माँ।
उन्हीं गौ माँ के संरक्षण और संवर्द्धन का वीड़ा उठाया है निर्मल गौ सेवा ट्रस्ट
ने । शुचिता के इस
अभियान में जिन-जिन भी महामना लोगों का उदार प्रेम और सहयोग हमें जिस किसी भी स्तर पर प्राप्त हो
रहा है, मैं उन सभी के प्रति कृतज्ञता और धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।
अस्तु! गौ माता के श्री चरणों में बारम्बार दण्डवत प्रणाम करता हुआ, आप समस्त सुधीजनों से आशीर्वाद
की कामना करता हुआ, मैं पुनः पुनः आप लोगों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।
गौ माता निरंतर आप सबका मंगल करें।
विराट सन्देश-
जिनके नहीं हैं नाम, उनके नाम बनेंगे, घर गाँव शहर, मुरलीधर के धाम बनेंगे।
ब्रह्माण्ड के सब देवता, गौ में समाये हैं, तुम गाय पाल लेना, सभी काम बनेंगे ॥
आपका शुभाकांक्षी
गौ सेवक मनोज तिवारी
अध्यक्ष
निर्मल गौ सेवा ट्रस्ट